(www.arya-tv.com) हत्या और रंगदारी वसूलने के लिए बीते 15 साल से कुख्यात अजय सिंह उर्फ विजय ने चंदौली की कोर्ट में गुपचुप तरीके से सरेंडर कर दिया। पुलिस को भनक तक नहीं लगी। बीते मई महीने में लखनऊ में TTE विजय शंकर सिंह को गोली मारने में नाम आने के बाद अजय सिंह उर्फ विजय की तलाश पुलिस तेज कर दी थी।
छह अन्य आपराधिक मामलों की सुनवाई में पेश न होने के कारण अजय सिंह के खिलाफ अदालत से गैर जमानती वारंट जारी था। फतेहपुर जिले के खागापुरैनी गांव का मूल निवासी अजय वाराणसी, चंदौली, सुल्तानपुर, लखनऊ, भभुआ और रांची में ठिकाने बदल-बदल कर रहता था।
उसके खिलाफ वाराणसी, गाजीपुर, चंदौली और लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में 25 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। फिलहाल, वह वाराणसी की जिला जेल में बंद है।
क्या हुआ था लखनऊ में 2 मई की रात
लखनऊ के के गोमती नगर के विनीत खंड में प्रॉपर्टी डीलर संदीप सिंह के मकान में बीती 2 मई की रात पार्टी आयोजित थी। पार्टी में पेशे से टीटीई और प्रॉपर्टी डीलर का काम करने वाला सुल्तानपुर के सेमरौना का मूल निवासी विजय शंकर सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे। शराब पीने के दौरान किसी बात को लेकर कहासुनी हुई।
उसके बाद असलहे से चली गोली विजय शंकर सिंह के पेट में जा लगी थी। विजय शंकर सिंह की तहरीर पर सतीश सिंह, अजय सिंह उर्फ विजय, प्रतेश सिंह बंटी और त्रिनेत्र पांडेय पर हत्या का प्रयास, आपराधिक साजिश और धमकाने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था।
कैसे कुख्यात हुआ बदमाश अजय सिंह
बदमाश अजय सिंह उर्फ विजय का नाम पहली बार सरकारी चिकित्सक रहे डॉ. डीपी सिंह की हत्या में सामने आया था। 13 सितंबर 2007 को पांडेयपुर क्षेत्र में डॉ. डीपी सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में डॉ. डीपी सिंह की पत्नी और छह अन्य आरोपियों को जेल भेजा गया था। नवंबर, 2018 में संदिग्ध हाल में जहर का इंजेक्शन लगा कर डॉ. शिल्पी ने सुसाइड कर लिया था।
डॉ. डीपी सिंह की हत्या के बाद अजय सिंह का नाम अपराध जगत में चर्चित हो गया था। इसके साथ ही वाराणसी के डॉक्टरों, व्यापारियों और ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने, हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण के लिए अजय सिंह कुख्यात होता चला गया। दिसंबर, 2012 में गाजीपुर के सैदपुर में अजय सिंह ने सराफा कारोबारी भाइयों की हत्या कर लूट की बड़ी वारदात को अंजाम दिया था।
2013 में पकड़ाया था 9MM की पिस्टल के साथ
3 अप्रैल 2013 को वाराणसी की कैंट थाने की पुलिस ने अजय सिंह उर्फ विजय को गिरफ्तार किया था। उस समय उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित था। अजय सिंह के पास से तब 9MM की एक पिस्टल और सात कारतूस बरामद हुए थे। पूछताछ में अजय सिंह ने बताया था कि वह एक डॉक्टर से रंगदारी वसूलने के लिए आया था।
अजय सिंह ने पुलिस के सामने स्वीकार किया था कि वाराणसी और बांदा जेल में बंद रहने के दौरान उसने अपना एक अलग गिरोह बनाया है। उसके गिरोह में अच्छे शूटरों के साथ ही तकनीक के जानकार बदमाश भी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, 2013 में गिरफ्तार होने के बाद अजय सिंह उर्फ विजय जमानत पर छूटा तो फिर वह कभी गिरफ्तार नहीं हुआ।
मददगार मारा गया था सदर तहसील में
अजय सिंह उर्फ विजय का एक खास मददगार सारनाथ क्षेत्र का नीतेश सिंह उर्फ बबलू माना जाता था। 30 सितंबर 2019 को वाराणसी के सदर तहसील में अंधाधुंध फायरिंग कर नीतेश सिंह की हत्या कर दी गई थी। नीतेश की हत्या का आरोपी गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर उर्फ टग्गर फरवरी 2021 में लखनऊ में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था।
जाएगा लखनऊ, वाराणसी पुलिस अलर्ट
अजय सिंह उर्फ विजय को अदालत की अनुमति से लखनऊ पुलिस पूछताछ के लिए अपने साथ ले जाने की तैयारियों में जुट गई है। वहीं, चंदौली में अजय सिंह के सरेंडर करने की वजह से वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस भी अलर्ट मोड में है। चंदौली में अजय के सरेंडर करने के पीछे पुलिस उसकी सोची-समझी चाल मान रही है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं अजय सिंह उर्फ विजय रंगदारी वसूलने वाले अपने गिरोह को फिर से एक्टिव तो नहीं कर रहा है।