बौद्ध संस्कृति एक अत्यंत प्राचीन संस्कृति है:अधिकांश ग्रंथ पाली और प्राकृत भाषा में:आज बुद्ध पूर्णिमा

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(www.arya-tv.com)  बैशाख की पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, जो प्रतिवर्ष अप्रैल या मई के महीने में पड़ती है। बुद्ध पूर्णिमा की दिनांक प्रतिवर्ष बदलती रहती है, इस वर्ष यह 16 मई को मनाई जाएगी। बुध पुर्णिमा बौद्ध मतावलंबियों का सबसे प्रमुख त्योहार है। जिस दिन वे बौद्ध मंदिरों में जाकर भगवान बुध की ध्यानस्थ मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करते हैं एवं उनकी शिक्षाओं को दोहराते हुए बुधम शरण गच्छामि, धम्मम्म शरण गच्छामि, संघम शरणं गच्छामि की प्रतिज्ञा दोहराते हैं। लामा मरूं रंग का एक विशेष वस्त्र धारण करते है जिन्हे अलग से पहचाना जा सकता है। लखनऊ में ऐसा ही एक बौद्ध मंदिर चारबाग से अमीनाबाद जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित है।। जिसमे बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार किया जाता है

यह बौद्ध कैलेंडर का सबसे पवित्र समय माना जाता है। यह बौद्ध समुदाय के लोगों के लिए दीपावली के जैसा धूम धाम से मनाया जाने वाला त्यौहार होता है, और वे इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते भी हैं।

बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और उनके निर्वाण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिल वस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था।, इनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन तथा माता का नाम माया देवी था।

16 वर्ष की आयु में इनका विवाह कोली वंश की कन्या यशोधरा से हो गया था एवं कुछ वर्ष पश्चात यशोधरा ने पुत्र राहुल को जन्म दिया।

बैसाखी पूर्णिमा के दिन ही इन्हें वट वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जो बोध गया बिहार में आज भी मौजूद है। इसी दिन लोग वटवृक्ष की पूजा अर्चना भी करते हैं। इस दिन गंगा स्नान को बुद्ध स्नान भी कहा जाता है।

बुद्ध का अर्थ होता है जागना, जब उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ तो वे सिद्धार्थ से बुद्ध कहलाए। आज बुद्ध पूर्णिमा जापान, इंडोनेशिया और इसी तरह की अन्य देशों में मनाई जाती हैं जहां पर बुद्ध ने कभी भ्रमण किया था। अपनी ज्ञान यात्रा के दौरान बुध ने जहां जहां प्रवास किया वे स्थान बौद्ध विहार कहलाए।
तिब्बत के पहाड़ी इलाकों में आज भी अनेक लामा ( बौद्ध भिक्षुक ) देखने को मिलते हैं जिन्होंने दुर्गम पहाड़ी स्थलों पर अपनी मठ या बिहार स्थापित कर रखे हैं।

बौद्ध लमाओं के विश्व प्रसिद्ध गुरु दलाई लामा है। जो अनेक देशों में अपने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए आते जाते हैं। परंतु चीन जैसे देशों में दलाई लामा का प्रवेश अपने देश में प्रतिबंधित कर रखा है।

बौद्ध संस्कृति एक अत्यंत प्राचीन संस्कृति है जिसके अधिकांश ग्रंथ पाली और प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं।
इस दिन बौद्ध स्तूपों, मठों और विहारों में लामा जिन्हे बौद्ध गुरु भी कहा जाता है शांति सभाएं आयोजित करते हैं। बुध ने शांति और प्रेम का जो संदेश अपने शिस्यों को दिया था उसे आज भी पूरी श्रद्धा से सम्पूर्ण विश्व में फैला रही है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुदूर जापान से अनेक अनुयाई भारत पे सारनाथ, बोधिगया और सांची के स्तूपों का भ्रमण करने आते हैं।
ये स्थल भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में से एक है।

( आर्य टीवी न्यूज के लिए शिवपूजन की एक रिपोर्ट )