किस हाल में है भारत सरकार का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

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(www.arya-tv.com)   पृथ्वी पर हर जीव जन्तु का अस्तित्व नर और मादा दोनों के समान भागीदारी के बिना संभव नहीं है। मानव जाति के लिए पुरुष और महिला का योगदान होता है। किसी भी देश के विकास के लिए पुरुष और महिला का समान रूप से योगदान रहना जरूरी है अन्यथा देश का विकास रुक जाता है। मानव जाति का सबसे बड़ा दोष या अपराध कन्या भ्रूण हत्या है।
देश के अधिकतर रहवासी अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चा होने से पहले ही लिंग परीक्षण करवा देते है, अगर लड़की निकलती है तो उसे पैदा होने से पहले ही गर्भ में मरवा देते है। इन सब को रोकने के लिए ही देश के प्रधानमंत्री को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का जागरूकता अभियान शुरू करना पड़ा।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान क्या है?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक ऐसा जागरूकता वाला अभियान है, जिसका मुख्य उद्देश्य कन्या शिशु को बचाना और उनको शिक्षित करना है। इस अभियान का शुभारम्भ भारत सरकार के द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत शहर में किया गया क्योकि वहा पर एक लम्बे समय से कन्या हत्याओ की प्रथा चलती आ रही थी । इसके अंतर्गत कन्या शिशु के लिए जागरूकता का अभियान चलाना और महिला कल्याण में सुधार लाना इस अभियान के प्रमुख बिन्दुओं में से एक है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता क्यों पड़ी?
भारत में 2001 की जनगणना में 0-6 वर्ष के बच्चों का लिंगानुपात का आँकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 927 थी, जो कि 2010 कि जनगणना में घटकर 1000 लड़कों के अनुपात में 918 लड़कियाँ हो गई। सरकार के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया, इसलिए सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू करने की आवश्यकता महसूस हुई।
[0:21 pm, 29/04/2022] Harshit Kaur Saini: यूनिसेफ़ (UNICEF) ने भारत को बाल लिंगानुपात में 195 देशों में से 41वां स्थान दिया, है । अपनी रैंक में सुधार करने और कन्या शिशु को बचाने के लिए सरकार द्वारा सख्ती से योजना का शुभारम्भ किया गया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य
बेटियों के अस्तित्व को सुरक्षा प्रदान करना है और बेटियों के जन्म दर में बढ़ोतरी करना है।

[Harshit kaur saini की रिपोर्ट]