आशीष मिश्र पर तिकुनिया हिंसा में आरोप तय होने को लेकर आज सुनवाई

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(www.arya-tv.com) केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर तिकुनिया हिंसा में आरोप तय होने को लेकर आज सुनवाई होनी है। लखीमपुर खीरी जिला अदालत में उसे पेश किया जाएगा। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद आशीष मिश्र ने बीते रविवार को सरेंडर किया था। यहां से उसे दोबारा जेल भेज दिया गया था।

बता दें कि आशीष मिश्र ने खुद को निर्दोष बताते हुए आरोपों से अलग करने की अर्जी (डिस्चार्ज अप्लीकेशन) दी थी। तिकुनिया हिंसा के 14 आरोपियों में केवल आशीष मिश्र उर्फ मोनू की ओर से ही डिस्चार्ज अप्लीकेशन दी गई है। इसमें साफतौर पर कहा गया है कि उसके खिलाफ कार्रवाई का कोई आधार नहीं है। अदालती पत्रावली में ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिनके आधार पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। इस पर अभियोजन को आपत्ति दाखिल करनी है।

तिकुनिया हिंसा मामले में कल भी हुई थी सुनवाई
तिकुनिया हिंसा मामले के अन्य मुकदमे में कल यानी सोमवार को भी सुनवाई हुई थी। इसमें जिला जज ने अगली सुनवाई 9 मई तय की है। दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत मामले में चार आरोपी जेल में हैं। इसी मामले में भी आरोप तय किये जाने हैं। इसी मामले में सुनवाई होनी थी लेकिन आरोपियों के वकील डिस्चार्ज अप्लीकेशन नहीं दे सके। इसके लिए और समय मांगा, जिसे जज ने मंजूरी दे दी।

सुप्रीमकोर्ट ने रद्द कर दी थी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जमानत के फैसले पर सवाल उठाए थे। अदालत ने कहा था कि हाई कोर्ट ने विक्टिम को सही तरह से नहीं सुना और औचित्यहीन तथ्यों पर विचार किया। वह फैसले के लिए केस की मेरिट में गया, जबकि केस की मेरिट पर विचार ट्रायल का विषय है। विक्टिम को सुने जाने के अधिकार को अनदेखा करना यह दिखाता है कि हाई कोर्ट कितनी जल्दी में था। ऐसे में हाई कोर्ट का आदेश खारिज होने योग्य है। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला फिर हाई कोर्ट के भेज दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में आशीष मिश्र की ओर दोबारा जमानत के लिए अप्लीकेशन दी जा सकती है।

हाईकोर्ट से ऐसे मिली थी जमानत
इस हाई प्रोफाइल केस में हाईकोर्ट ने जमानत का फैसला कैसे दिया, यह किसी के गले नहीं उतर रहा था। वकील की दलील के बाद हाईकोर्ट ने कहा था, ‘अभियोजन की दलीलें मान भी लें तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी थे। ऐसे में संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और यह घटना हो गई’। बहस के दौरान कहा गया कि SIT ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया।