निवेश सुरक्षित रखने के लिए फंड डाइवर्सिफिकेशन, एसेट एलोकेशन और पोर्टफोलिया री-बैलेंसिंग जरूरी: एक्सपर्ट

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(www.arya-tv.com) एक दिन आपने फैसला किया कि अब इक्विटी में निवेश करेंगे। इसके लिए आप स्टाक चुनने के गुर सीखने लगे। जब आपको लगा कि काफी कुछ सीख लिया है, तब आपने स्टाक चुनने करने शुरू किए। चूंकि आपने सही स्टाक चुने थे, इसलिए आप लगातार पैसा बनाते गए और अमीर हो गए। यहां तक तो सब कुछ बिल्कुल साफ और सरल मालूम देता है। ये समझ लेना बहुत आसान है कि किसी बड़े और मजबूत बिजनेस में कभी कोई गंभीर मुश्किल नहीं आई होगी। पर ये सच नहीं होता है। हर जोखिम भरे काम में बड़े झटके आते हैं और खासतौर पर शुरुआती दौर में।

पिछले दिनों एक खबर देखी कि कैसे दुनिया के सबसे बड़े रिटेलर वालमार्ट के फाउंडर ने शुरुआती पांच साल में ऐसा झटका खाया कि वालमार्ट बंद होने की कगार पर पहुंच गया। वालमार्ट के संस्थापक बेन वाल्टन ने 1945 में बेन फ्रैंकलिन नाम के स्टोर की फ्रेंचाइजी शुरू की। ये स्टोर उन्होंने एक छोटे शहर में खोला, जहां बहुत ज्यादा संभावनाएं नहीं थीं। इससे भी बड़ी बात ये थी कि वाल्टन को बिजनेस का अनुभव नहीं था। इसके बावजूद पांच साल के भीतर वे बेहद सफल बिजनेसमैन हो गए और उनके स्टोर की सालाना बिक्री 70,000 से 2,50,000 डालर के बीच होने लगी।

इसका जवाब है कि बिल्कुल है। नए स्टाक का चुनाव और उसमें निवेश करना एक खुशी देने वाला काम है। हालांकि, डाइवर्सिफाइ करना, एसेट एलोकेशन, पोर्टफोलिया री-बैलेंसिंग, पुराने निवेशों पर नजर रखना, ये सभी बोर करने वाली बातें हैं। फिर भी यही वे बाते हैं जिनसे पैसे सुरक्षित रहते हैं।

मुश्किल भरा वक्त नए निवेशकों के लिए सीखने का अहम वक्त होता है। जब मार्केट अस्थिर हो तभी अच्छे, खराब और बेहद खराब के बीच फर्क संभव हो पाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई निवेश-गुरु क्या अंदाजा लगा रहा है या दुनियाभर में क्या चल रहा है।

हर सफल निवेशक ऐसे झटकों से गुजरता है और खास बात यह है कि हर असफल निवेशक के साथ भी ऐसा ही होता है। असफल निवेशक वे हैं जो कभी पैसे नहीं बना पाते हैं और हिम्मत हार जाते हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हम बोरिंग चीजें करना जारी रखें और सही तरीके से करते रहें।