कोरोना वायरसः जानिए चीन की इस किताब की भविष्यवाणी का पूरा सच

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सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जमकर वायरल हो रही है जिसमें कोरोना वायरस को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह एक जैविक हथियार है। इस पोस्ट में एक किताब का आधार दिया गया है जिसका नाम है ‘द आय ऑफ डार्कनेस’। इस किताब और उसके कुछ पन्नों की तस्वीर के साथ यह अलग-अलग माध्यमों से फैलाई जा रही है। जानिए अमर उजाला पड़ताल में इस वायरल पोस्ट का सच,

दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स।
दावे का आधार- डीन कूंट्ज की किताब ‘द आय ऑफ डार्कनेस’। किताब के एक हिस्से में चीन के एक वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए नाम ‘वुहान-400’ का उल्लेख मिलता है।
इस उपन्यास में बायोलॉजिकल हथियार कोरोना वायरस (COVID-19) के दुनिया भर में फैलने की ‘भविष्यवाणी’ की गई है।

क्या किया जा रहा दावा- 1981 के चाइनीज नॉवेल ‘द आय ऑफ डार्कनेस’ में कोरोना वायरस के फैलने की भविष्यवाणी की गई है।
पड़ताल का परिणाम- 1981 के चाइनीज नॉवेल ‘द आय ऑफ डार्कनेस’ में कोरोना वायरस के फैलने की भविष्यवाणी नहीं की गई है, यह फेक न्यूज है।

किताब –
वर्ष 1981 में लिखी गई
लेखक- डीन कूंट्ज
किताब का नाम- ‘द आय ऑफ डार्कनेस’

पड़ताल के चरण
सबसे पहले गूगल रिवर्स सर्च पर इस खबर को खोजा और इसके लिए ‘कोरोना’, ‘कोरोना वायरस’ और COVID-19 की-वर्ड्स का प्रयोग किया।
इससे जुड़ी तमाम खबरें सामने आकर खुल गईं जिसमें ‘फेक न्यूज’ की भरमार ज्यादा थी।
उसके बाद प्रामाणिक समाचार पत्र और सरकारी गाइडलाइन्स भी मिली।

पड़ताल का पहला चरण-
एक मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिक हेल्थ साइंटिस्ट्स द्वारा दिए गए स्टेटमेंट में साफ कहा गया है,
“हम सभी मिलकर उन सभी दावों को सिरे से गलत साबित करते हैं जिसमें यह कहा गया हैं कि COVID-19 को इंसानों द्वारा बनाया गया है एक जैविक हथियार है। SARS कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) का भी अध्ययन किया गया है और यह परिणाम सामने आया है कि बैक्टीरिया और वायरस से पैदा होने वाली तमाम बीमारियों के सामान ही इसकी उत्पत्ति भी जीवों के अंदर से ही हुई है।”

पड़ताल का दूसरा चरण-
हाथ अल-जजीरा की एक रिपोर्ट लगी जिसमें लिखा था कि,
अल-जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार – “चीन के हेल्थ संस्थान इस कोरोना वायरस की उत्पत्ति की खोज कर रहे हैं। और इसमें उन्होनें यह माना कि बहुत हद तक इसकी उत्पत्ति वुहान में सी फूड बाजार से हुई हैं। इस बाजार में गैर-कानूनी तरीके से जानवर बेचे जा रहे थे”

दावा फर्जी- यह उस दावे को गलत साबित करता है कि कोरोना वायरस केवल इंसानों में रह सकता है बल्कि यह दोनों में रहता हैं।
पड़ताल का तीसरा चरण-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार,
“कोरोना वायरस एक बड़े वायरस समूह का हिस्सा है जिसके तहत आम खांसी-जुकाम से लेकर MERS-CoV और SARS-Cov जैसी खतरनाक बीमारियां भी पैदा हो सकती हैं।”
कोरोना वायरस जूनोटिक है, यह किसी अन्य प्रजाति से भी इंसानों में आ सकती है।
इससे पहले कभी भी नोवेल कोरोना वायरस (nCoV) से इंसानों को संक्रमण नहीं हुआ था।

जानिए सत्य क्या है –
पहला, डीन कूंट्ज ने अपनी किताब में कहीं पर भी वुहान में बनाए जा रहे जैविक हथियार की चर्चा नहीं की है, असल किताब में ऐसा विवरण कहीं नहीं मिलता है।
दूसरा, डीन कूंट्ज ने अपनी किताब में COVID-19 ( कोरोना वायरस ) के फैलने से जुड़ी कोई भी भविष्यवाणी नहीं की थी।
तीसरा, उन्होंने अपनी किताब में गोर्की-400 शब्द ( टर्म) का इस्तेमाल किया था जिसका बाद में नाम बदलकर वुहान-400 कर दिया गया था।

सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स पर किताब का एक पन्ना वायरल हो रहा है जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि इस किताब में पहले ही COVID-19 ( कोरोना वायरस ) के बारें में खुलासा कर दिया गया था।
वायरल हो रहा मेसेज लिखा है- “चीन में ये किताब पहले ही आ गई थी जिसमें कहा गया था सरकार गरीबी हटाने के लिए इस वायरस का उपयोग करेगी। ऐसा वॉट्सएप पर कहा जा रहा है ”

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के एक आर्टिकल के अनुसार,
कूंट्ज ने अपने उपन्यास में वायरस की उत्पत्ति रूस में हुई, इस बारे में बताया है।
इस किताब को जब दोबारा लिखा गया तो इसकी कहानी सोवियत यूनियन के गिरने के बाद शुरू हुई। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां गोर्की शहर में कम्युनिज्म जैसा कुछ भी नहीं पता चल रहा था।
इस लेख में ये भी बताया गया कि इस किताब को जब सबसे पहली बार लिखा गया था तो लेखक ने अपना दूसरे नाम ‘लाइ निकोलस’ इस्तेमाल किया था।
अगर आप गूगल बुक्स देखेंगे तो उसमें भी 1981 के संस्करण में भी यही नाम लिखा हुआ दिखाई देता है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस किताब के पहले संस्करण से इस एक अंश को भी छापा था जहां पर रूस और गोर्की-400 की चर्चा हुई।

पड़ताल का परिणाम
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह दावा फर्जी है और ऐसे संवेदनशील समय पर इस तरह की पोस्ट शेयर करने से पहले सोचना, समझना जरूर चाहिए।
कोरोना से लड़ना है ना की डरना है पर उससे भी ज्यादा जरूरी है अफवाहों से भी लड़ना है, उन्हें रोकना है।