कोरोनावायरस को लेकर भारतीय शोधकर्ता का बड़ा खुलासा- इस दवा से लोग अपने आप हो रहे हैं ठीक

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कोरोनावायरस को लेकर देश-दुनिया में एक भय का माहौल बना हुआ है। भारत में भी कोरोना से संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद लोग घबराए हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अनुसार इसको लेकर बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। कोरोना के उपचार को लेकर दुनियाभर के कई वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं। भारतीय शोधकर्ता और वैज्ञानिक गगनदीप कांग ने लोगों से इस वायरस से नहीं घबराने की अपील की है। उनका कहना है कि भारत में कोराना के संक्रमण के शिकार पांच लोगों में से चार खुद ठीक हो जाते हैं। उनकी कही गई बातें आपकी चिंता कम कर सकती है।

आइए जानते हैं उन्होंने और क्या कहा:
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के 31 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 16 इटली के पर्यटक हैं। इसके अलावा केरल के जिन तीन नागरिकों में कोरोना के संक्रमण पाए गए थे, वे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ता गगनदीप कांग ने सार्वजनिक स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की है कि वे इस वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करें और बताएं कि क्या सावधानियां बरतकर कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है।
गगनदीप कांग पिछले साल लंदन में रॉयल सोसाइटी में फेलो चुनी गईं पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी लोगों को बताएं कि कैसे किसी संक्रमित शख्स से दूरी बनाकर रखी जाए, किन जगहों पर जाने से बचा जाए और क्या साफ-सफाई को लेकर क्या सावधानियां बरती जाएं। कोरोना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही ‘वैश्विक आपातकाल’ घोषित कर दिया है। हमें इसे महामारी बनने से रोकना होगा।

5 में से 4 के लिए केवल पैरासिटामोल ही काफी
उन्होंने समझाया कि इस समय कोरोना के उपचार कारगर भले न हों, लेकिन मददगार जरूर हैं। पांच संक्रमित लोगों में से चार लोग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और ऐसे संक्रमित लोगों को खांसी और बुखार के लिए केवल ‘पैरासिटामोल’ जैसी दवाएं ही काफी हैं। पांचवें व्यक्ति को ही अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि अगर आपको भी सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो आपको बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
महामारियों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली नॉर्वे की संस्था कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन(CEPI) भी कोरोनावायरस का टीका विकसित करने में जुटी हुई है। शोधकर्ता गगनदीप कांग ने कहा कि कोरोना को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। हम हर दिन वायरस के संपर्क में आते हैं। बस ये सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों को अच्छी तरह से धोते हैं। बिना हाथ साफ किए अपना चेहरा छूने से बचें। घर में या कार्यस्थल पर फर्श पर भी कीटाणुनाशक का पोछा लगवाएं।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के लक्षणों में अचानक बुखार, सांस लेने में तकलीफ, अधिक खांसी और जुकाम, शरीर में तेज दर्द के साथ कमजोरी, किडनी और लिवर में तकलीफ और निमोनिया के लक्षण शामिल हैं। खासकर नाक और गले में सूजन को देखकर कोरोनोवायरस के संक्रमण का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि जांच में इसके संक्रमण का पता लगने में 12-24 घंटे लगते हैं।
गगनदीप कांग ने कहा कि इस समय देखने में आया है कि अन्य फ्लू के मुकाबले कोरोना से बच्चों में गंभीर बीमारी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि ये वायरस बुजुर्गों पर ज्यादा असर करता है। उच्च रक्तचाप(हाई ब्लडप्रेशर), मधुमेह(डायबिटीज) और हृदय संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों पर भी इसका ज्यादा असर होता है। इसके लिए अपनी इम्यूनिटी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) बनाए रखने की जरूरत है। कांग ने कहा कि खांसने या छींकने वाले लोगों से छह से 10 फीट की दूरी बनाए रखने की जरूरत है।
लोगों के लिए टीका तैयार होने में लग सकता है लंबा समय
गगनदीप कांग ने बताया कि कोरोना का टीका तैयार होने में एक साल से ज्यादा समय लग सकता है। टीका से कोरोना का पूर्ण उपचार हो जाएगा, ऐसा कहना भी जल्दबाजी होगी। उन्होंने बताया कि नॉर्वे की संस्था CEPI कोरोनावायरस के टीके बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका-बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रही है, जिन्होंने 6 हफ्तों में एक टीका तैयार कर लिया है। इन टीकों का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा। इस टीके को पूरी तरह से तैयार होने में साल भर का वक्त लग सकता है।