शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में लैंगिक उत्पीड़न का मामला:हाइकोर्ट ने दिया कुलपति को आदेश

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(www.arya-tv.com)हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुनर्वास विश्वविद्यालय से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है।महिला अधिकारी के लैंगिक उत्पीड़न के मामले में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति को एक सप्ताह में नई आंतरिक शिकायत समिति बना कर जांच कराने के आदेश दिए हैं।इसी के साथ न्यायालय ने वर्तमान समिति के गठन को रद्द कर दिया है।

महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत का फैसला

यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने लैंगिक उत्पीड़न की पीड़ित विश्वविद्यालय की एक महिला अधिकारी की याचिका पर पारित किया है।याचिका में महिला अधिकारी ने अपने खिलाफ हुए कथित लैंगिक उत्पीड़न के मामले में निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच की मांग की थी।

यूनिवर्सिटी के 4 बड़े अधिकारियों के विरुद्ध लगे थे गंभीर आरोप

महिला अधिकारी ने विश्वविद्यालय के ही चार बड़े अधिकारियों पर लैंगिग उत्पीड़न के गम्भीर आरेाप लगाए हैं, जिनके खिलाफ उसने शिकायत की है।वर्तमान याचिका में याची ने 24 मई 2021 को विश्वविद्यालय में गठित की गई आंतरिक शिकायत कमेटी के गठन को चुनौती दी थी।याची की ओर से अधिवक्ता रवि सिंह सिसोदिया ने दलील दी कि शिकायत समिति को यूजीसी के सम्बंधित प्रावधानों की अनदेखी करते हुए बनाया गया है और ऐसा करके जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।

UGC के नियमों की अनदेखी करके बनाई गई थी जांच समिति

कहा गया कि उक्त प्रावधान के तहत डीन या विभागाध्यक्ष को समिति का सदस्य नहीं बनाया जा सकता, लेकिन इस प्रकरण में एक महिला डीन और विभागाध्यक्ष को समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है। यह भी दलील दी गई कि जिस अधिकारी ने समिति बनाई है, लैंगिग उत्पीड़न के मामले में वो भी आरोपी है। वहीं याचिका का विरेाध करते हुए विश्वविद्यालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप सेठ ने दलील दी कि कमेटी का गठन लैंगिक उत्पीड़न की जांच के लिए 2013 में केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए अधिनियम के तहत किया गया है। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि विश्वविद्यालय यूजीसी के विनियम मानने से इंकार नहीं कर सकता है।24 मई 2021 को जिस समिति का गठन किया गया है, वह कानूनन उचित नहीं है।न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ वर्तमान समिति के गठन को रद्द कर दिया और नई समिति के गठन का आदेश दिया।