चिनहट हादसे में तीन मौतों से लें सबक:हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग के बिना ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग ले सकती है जान

Health /Sanitation Lucknow Technology

(www.arya-tv.com)ऑक्सीजन की कमी से उखड़ती सांसों से मची घबराहट के बीच सिलेंडर की रिफिलिंग से पूर्व जरूरी हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग को नजरअंदाज किया जा रहा है। रिफिलिंग स्टेशनों के बाहर खाली ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर लोगों की कतारें लगी रहती हैं, लेकिन इनमें से शायद ही किसी को पता होगा कि सिलेंडर की टेस्टिंग हुई है या नहीं। उन्हें तो यह भी नहीं पता कि इस टेस्टिंग के जरिये सिलेंडर की गुणवत्ता जाने बिना इसका इस्तेमाल जान बचाने के बजाय जान ले भी सकता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट इलाके में गुरुवार को हुए हादसे को ऐसी ही लापरवाही का नतीजा माना जा रहा है। इसके बाद ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग को लेकर कई और सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

हर 5 साल में टेस्टिंग अनिवार्य

बुधवार को चिनहट के केटी ऑक्सीजन फिलिंग स्टेशन पर विस्फोट में तीन लोगों की जान चली गई थी। बताया जा रहा है कि नियमानुसार किसी भी गैस सिलेंडर की हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग हर पांच साल में करना अनिवार्य है। इसके तहत ऑक्सीजन या एलपीजी सिलेंडर के चादर के गुणवत्ता की जांची जाती है। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी कंट्रोलर ऑफ एक्सपोसिव (सीओई) की है। टेस्टिंग से यह पता चलता है कि भविष्य में यह सिलेंडर रिफलिंग करने लायक बचा है या नहीं। प्रत्येक सिलेंडर को 150 से 200 बार (प्रेशर यूनिट) प्रेशर ऑक्सीजन भरी जाती है। ऐसे में सिलेंडर की चादर या कैप कमजोर होने पर इसमें ब्लास्ट होने का खतरा बना रहता है। जानकारी के अनुसार लखनऊ के राजाजीपुरम में अवध गैस को ही हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग करने का लाइसेंस मिला है। इसके अलावा इसकी टेस्टिंग के लिये कानपुर में कई प्लांट हैं। कोरोना महामारी के बीच गैस सिलेंडर की हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग नहीं हो पा रही है।

गुणवत्ता विहीन सिलेंडरों का हो रहा इस्तेमाल

महामारी में अपनों की जान बचाने के लिए लोग काफी पुराने गुणवत्ता विहीन सिलेंडर इस्तेमाल कर रहे हैं। गैस की कालाबाजारी ने भी मुसीबत खड़ी कर दी है। 7000 में बिकने वाला यह सिलेंडर 60 से 65 हजार तक में बेचा जा रहा। परेशान लोग बिना टेस्टिंग के बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर ब्लैक में ख़रीद रहे हैं। खरीदार हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग नहीं कर सकता। घातक बात यह है कि कई होम आइसोलेट मरीजों के लिए भी ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा है। जबिक, सिलेंडर का कैप कमजोर या खराब होने पर घर में मौजुद सदस्यों की जान भी खतरे में पड़ सकती है। बुधवार को चिनहट हादसे की प्राथमिक जांच में सामने आया कि यहां भी बिना हाइड्रोस्टेटिक टेस्टिंग वाले सिलेंडर धड़ल्ले से रिफिल किए जा रहे थे। तीन मौतों के लिए जिम्मेदार धमाके की वजह अभी तक यही मानी जा रही है। जांच टीम में शामिल मुख्य अग्निशमन अधिकारी विजय सिंह का कहना है कि जांच अभी चल ही रही है। और साक्ष्य जुटाने के बाद रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी।